मेरे शहर में भी ऐसा ही नज़ारा हो, अभी ये इच्छा हर किसी की हो सकती है। बारिश का वक़्त आ गया लेकिन बारिश नहीं आई। अब तो वक़्त निकल रहा है। जैसे-जैसे वक़्त निकल रहा है, चिंता भी बढती जा रही है। पिछला साल भी ऐसे ही निकल गया, .....नहीं, नहीं। भगवान् हर बार ऐसा ही थोड़ी ही करेंगे? धरती भीषण गर्मी से ताप रही है। पशु-पक्षी ही नहीं, इंसान भी हलकान हो रहे हैं। आसमान की और बार-बार देखती आँखे निराश होकर नीचे हो जाती हैं। फिलहाल कोई उम्मीद नहीं दिखती। मौसम विभाग वाले भी कुछ ज्यादा उम्मीद नहीं बंधाते। वैसे भी उनका कहा कब सच होता है? अब तो रामजी से ही आस बंधी है। खबरों की दुनिया में रहता हूँ। रोज पढता हूँ की फलां जगह मेंढक-मेंढकी का विवाह कराया गया और फलां जगह लोगो ने अमुक अनुष्ठान कर बारिश की कामना की। मंदिरों-मस्जिदों, गुरुद्वारों और बाकि जगहों पर तो रोज प्रार्थना, दुआ, अरदास हो ही रही हैं लेकिन बारिश होने के असली कारको को हम भूल रहे हैं। फलां जगह इतने पेड़ काटे, फलां टाउनशिप के लिए इतने पेड़ काटेंगे और फलां सड़क को चौड़ा करने के लिए इतने पेड़ काटे जायेंगे ये खबरे मैं रोज पढता हूँ। हाँ, पेड़ लगाने की खबरे भी आएँगी, लेकिन अखबार में फोटो छपने के लिए। अगले साल फिर उसी जगह, उसी गड्ढे में अमुक मंत्री-अफसर के हाथो पेड़ लगाने की फोटो आ जाएगी। ऐसे में बारिश आएगी कैसे? हमने तो बारिश न ही आने के पूरे जतान कर रखे हैं। अब बस रामजी ही हैं, जिनसे आँखे बंद करके प्रार्थना कर सकते हैं........................ अब तो बरसो राम धड़ाके से....
Friday, July 2, 2010
अब तो बरसो राम धड़ाके से
मेरे शहर में भी ऐसा ही नज़ारा हो, अभी ये इच्छा हर किसी की हो सकती है। बारिश का वक़्त आ गया लेकिन बारिश नहीं आई। अब तो वक़्त निकल रहा है। जैसे-जैसे वक़्त निकल रहा है, चिंता भी बढती जा रही है। पिछला साल भी ऐसे ही निकल गया, .....नहीं, नहीं। भगवान् हर बार ऐसा ही थोड़ी ही करेंगे? धरती भीषण गर्मी से ताप रही है। पशु-पक्षी ही नहीं, इंसान भी हलकान हो रहे हैं। आसमान की और बार-बार देखती आँखे निराश होकर नीचे हो जाती हैं। फिलहाल कोई उम्मीद नहीं दिखती। मौसम विभाग वाले भी कुछ ज्यादा उम्मीद नहीं बंधाते। वैसे भी उनका कहा कब सच होता है? अब तो रामजी से ही आस बंधी है। खबरों की दुनिया में रहता हूँ। रोज पढता हूँ की फलां जगह मेंढक-मेंढकी का विवाह कराया गया और फलां जगह लोगो ने अमुक अनुष्ठान कर बारिश की कामना की। मंदिरों-मस्जिदों, गुरुद्वारों और बाकि जगहों पर तो रोज प्रार्थना, दुआ, अरदास हो ही रही हैं लेकिन बारिश होने के असली कारको को हम भूल रहे हैं। फलां जगह इतने पेड़ काटे, फलां टाउनशिप के लिए इतने पेड़ काटेंगे और फलां सड़क को चौड़ा करने के लिए इतने पेड़ काटे जायेंगे ये खबरे मैं रोज पढता हूँ। हाँ, पेड़ लगाने की खबरे भी आएँगी, लेकिन अखबार में फोटो छपने के लिए। अगले साल फिर उसी जगह, उसी गड्ढे में अमुक मंत्री-अफसर के हाथो पेड़ लगाने की फोटो आ जाएगी। ऐसे में बारिश आएगी कैसे? हमने तो बारिश न ही आने के पूरे जतान कर रखे हैं। अब बस रामजी ही हैं, जिनसे आँखे बंद करके प्रार्थना कर सकते हैं........................ अब तो बरसो राम धड़ाके से....
Sunday, May 9, 2010
नहीं रहे आचार्यश्री
Wednesday, April 28, 2010
देश से नहीं, खुद से गद्दारी
यह साधारण भारतीय महिला सी दिखने वाली माधुरी गुप्ता हैं। इन मोहतरमा ने अपनी निहायत छोटी-मोटी कुंठाओं के लिए वह अपराध किया है, जिसे देशद्रोह कहा जाता है। पूछताछ कक्ष से खबरे आ रही हैं कि माधुरी ने पैसे के लिए देश की गोपनीय बातें पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी को बताई, एक खबर आती है कि उसने बड़ा पद पाने के लिए ऐसा किया तो फिर ख़बरें आ रही हैं कि उसने अपने से बड़े अफसरों को सबक सिखाने के लिए ऐसा किया। कारण कुछ भी रहा हो, मामला हद से ज्यादा गंभीर है। कहा जा रहा है कि वह अपने वेतन से खुश नहीं थी। कुछ पेशे ऐसे होते हैं, जिनमे लोग ज़ज्बे से जाते हैं। पैसा कमाने के लिए नहीं। आप दूसरे देश (और वह भी पाकिस्तान) में पदस्थ हैं और इस तरह के काम करते हैं, तो इश्वर से प्रार्थना के अलावा कुछ नहीं बचता। क्या कारण है कि लोग सेना में जाते हैं, पत्रकार बनते हैं, जासूस बनते हैं? क्या पैसा कमाने के लिए? बिलकुल नहीं। पैसा तो इन पेशों में उतना ही मिलता है कि आप अपना परिवार का खर्चा चला सको। वह भी मुश्किल से ही। इसके पीछे तो होता है वाही जूनून। देश, समाज के लिए कुछ करने का। अगर हम लोग देश को धोखा देने लगे तो फिर देश उम्मीद किससे रखेगा? पैसा खाने के लिए हमने प्रशासनिक अधिकारी, नेता, पुलिस और न जाने कितने प्रतिष्ठान खड़े कर रखे हैं। आप विदेश सेवा में हैं, तो बड़ी परीक्षा पास करके ही वहा तक पहुंची होंगी? अन्य सेवा भी मिल सकती थी। सम्मान से देखे जाने वाले पेशे को क्यों बदनाम किया? दरअसल यह देश से तो गद्दारी है ही, उससे भी ज्यादा खुद से गद्दारी है। देश तो आपको देर-सवेर भूल जायेगा, या माफ़ कर देगा लेकिन खुद से कहा तक भाग पाएंगी?Sunday, April 25, 2010
पूर्ण आराम की सलाह
आस्था इसी का नाम है
Saturday, April 24, 2010
भई वाह, हर बार कमाल

ये हैं हमारे जाने-पहचाने जसपाल भट्टी साहब, हर बड़े मुद्दे को अपने अंदाज़ में उठाने के लिए मशहूर। याद है न आपको इनका फ्लॉप शो। वाही वाले। जब महंगाई मुद्दा बनती है तो ज़नाब अपने साथियों के साथ आलू प्याज की माला पहन-पहना कर निकाल पड़ते हैं और अब जबकि IPL हॉट मुद्दा बना हुआ है तो इसकी सच्चाई लेकर सड़क पर निकल पड़े। हालाँकि उन्होंने टीमो के नाम अपने हिसाब से ही तय किये हैं। उनका साथ देने में हर कोई आनंद का अनुभव करता है। यही तो है उनकी ताकत।
नफरत, गुस्सा और बेबसी
जयपुर में शुक्रवार को एक छात्रा ने खुद को आग लगाकर जान दे दी। उसने खुद को आग उस व्यक्ति के घर के सामने लगाई, जो उसे ब्लेकमेल कर रहा था। इस पूरे किस्से में नफरत, गुस्से और बेबसी की पराकास्ठा दिखाई देती है। उस छात्रा के पास शायद कोई रास्ता नहीं बचा था। सवाल यह उठता है कि आखिर हमारे राजस्थान में ऐसे वाकये क्यों होते रहते हैं। कभी जयपुर में शिवानी जडेजा के चेहरे पर सरेराह तेजाब दाल दिया जाता है। कभी अजमेर में छात्राओं की सीडी बनाकर ब्लेकमेल किया जाता है तो कभी नागौर में ऐसी ही घटना हो जाती है। क्यों नहीं हमारी सरकार आज तक ऐसे घिनौने अपराध करने वालों को कड़ा सबक नहीं सिखा पाई कि लोग ऐसा कुछ करने से पहले चार बार आगा-पीछा सोचने पर मजबूर हों।
ब्लेकमेल और शोषण की घटना न केवल किसी महिला का जीवन बर्बाद कर देती है, बल्कि हमारे समाज में उस परिवार को भी जीवन भर बिना किसी कसूर के सहानुभूति की बजाय ताने सुनने पड़ते हैं। जयपुर की घटना के बाद लोगो में गुस्सा फूट पड़ा, जो एक-दो दिन या कुछ ज्यादा दिनों में शांत भी हो जाएगा लेकिन पीड़ित परिवार को यह दंश जीवनभर झेलना पड़ेगा। यह मौका है की आगे ऐसी घटना न हो इसके लिए कदम उठा लिए जाये.
ब्लेकमेल और शोषण की घटना न केवल किसी महिला का जीवन बर्बाद कर देती है, बल्कि हमारे समाज में उस परिवार को भी जीवन भर बिना किसी कसूर के सहानुभूति की बजाय ताने सुनने पड़ते हैं। जयपुर की घटना के बाद लोगो में गुस्सा फूट पड़ा, जो एक-दो दिन या कुछ ज्यादा दिनों में शांत भी हो जाएगा लेकिन पीड़ित परिवार को यह दंश जीवनभर झेलना पड़ेगा। यह मौका है की आगे ऐसी घटना न हो इसके लिए कदम उठा लिए जाये.
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