Friday, July 2, 2010

अब तो बरसो राम धड़ाके से

मेरे शहर में भी ऐसा ही नज़ारा हो, अभी ये इच्छा हर किसी की हो सकती है। बारिश का वक़्त आ गया लेकिन बारिश नहीं आई। अब तो वक़्त निकल रहा है। जैसे-जैसे वक़्त निकल रहा है, चिंता भी बढती जा रही है। पिछला साल भी ऐसे ही निकल गया, .....नहीं, नहीं। भगवान् हर बार ऐसा ही थोड़ी ही करेंगे? धरती भीषण गर्मी से ताप रही है। पशु-पक्षी ही नहीं, इंसान भी हलकान हो रहे हैं। आसमान की और बार-बार देखती आँखे निराश होकर नीचे हो जाती हैं। फिलहाल कोई उम्मीद नहीं दिखती। मौसम विभाग वाले भी कुछ ज्यादा उम्मीद नहीं बंधाते। वैसे भी उनका कहा कब सच होता है? अब तो रामजी से ही आस बंधी है। खबरों की दुनिया में रहता हूँ। रोज पढता हूँ की फलां जगह मेंढक-मेंढकी का विवाह कराया गया और फलां जगह लोगो ने अमुक अनुष्ठान कर बारिश की कामना की। मंदिरों-मस्जिदों, गुरुद्वारों और बाकि जगहों पर तो रोज प्रार्थना, दुआ, अरदास हो ही रही हैं लेकिन बारिश होने के असली कारको को हम भूल रहे हैं। फलां जगह इतने पेड़ काटे, फलां टाउनशिप के लिए इतने पेड़ काटेंगे और फलां सड़क को चौड़ा करने के लिए इतने पेड़ काटे जायेंगे ये खबरे मैं रोज पढता हूँ। हाँ, पेड़ लगाने की खबरे भी आएँगी, लेकिन अखबार में फोटो छपने के लिए। अगले साल फिर उसी जगह, उसी गड्ढे में अमुक मंत्री-अफसर के हाथो पेड़ लगाने की फोटो आ जाएगी। ऐसे में बारिश आएगी कैसे? हमने तो बारिश न ही आने के पूरे जतान कर रखे हैं। अब बस रामजी ही हैं, जिनसे आँखे बंद करके प्रार्थना कर सकते हैं........................ अब तो बरसो राम धड़ाके से....

2 comments:

  1. वर्षा झमाझम हो, जल्दी हो..मंगलकामनाएँ.

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