Wednesday, April 28, 2010

देश से नहीं, खुद से गद्दारी

यह साधारण भारतीय महिला सी दिखने वाली माधुरी गुप्ता हैं। इन मोहतरमा ने अपनी निहायत छोटी-मोटी कुंठाओं के लिए वह अपराध किया है, जिसे देशद्रोह कहा जाता है। पूछताछ कक्ष से खबरे आ रही हैं कि माधुरी ने पैसे के लिए देश की गोपनीय बातें पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी को बताई, एक खबर आती है कि उसने बड़ा पद पाने के लिए ऐसा किया तो फिर ख़बरें आ रही हैं कि उसने अपने से बड़े अफसरों को सबक सिखाने के लिए ऐसा किया। कारण कुछ भी रहा हो, मामला हद से ज्यादा गंभीर है। कहा जा रहा है कि वह अपने वेतन से खुश नहीं थी। कुछ पेशे ऐसे होते हैं, जिनमे लोग ज़ज्बे से जाते हैं। पैसा कमाने के लिए नहीं। आप दूसरे देश (और वह भी पाकिस्तान) में पदस्थ हैं और इस तरह के काम करते हैं, तो इश्वर से प्रार्थना के अलावा कुछ नहीं बचता। क्या कारण है कि लोग सेना में जाते हैं, पत्रकार बनते हैं, जासूस बनते हैं? क्या पैसा कमाने के लिए? बिलकुल नहीं। पैसा तो इन पेशों में उतना ही मिलता है कि आप अपना परिवार का खर्चा चला सको। वह भी मुश्किल से ही। इसके पीछे तो होता है वाही जूनून। देश, समाज के लिए कुछ करने का। अगर हम लोग देश को धोखा देने लगे तो फिर देश उम्मीद किससे रखेगा? पैसा खाने के लिए हमने प्रशासनिक अधिकारी, नेता, पुलिस और न जाने कितने प्रतिष्ठान खड़े कर रखे हैं। आप विदेश सेवा में हैं, तो बड़ी परीक्षा पास करके ही वहा तक पहुंची होंगी? अन्य सेवा भी मिल सकती थी। सम्मान से देखे जाने वाले पेशे को क्यों बदनाम किया? दरअसल यह देश से तो गद्दारी है ही, उससे भी ज्यादा खुद से गद्दारी है। देश तो आपको देर-सवेर भूल जायेगा, या माफ़ कर देगा लेकिन खुद से कहा तक भाग पाएंगी?

5 comments:

  1. जय श्री कृष्ण ...आप हिंदी में लिखते हैं। अच्छा लगता है। मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं | हमारे ब्लॉग पर आपके विचारों का स्वागत हैं|

    ReplyDelete
  2. माधुरी की गद्दारी की वजह क्या हमारा सिस्टम नहीं है? यह भ्रष्टता किसी कुंठा से उपजी है मैं नहीं मानता। जब रॉ प्रमुख पर ही उंगलियां उठ रही हो तो ऐसे में अकेली माधुरी को गद्दार कहना गलत होगा। अरविंद सर, हमारा राष्टÑ प्रेम दम तोड़ रहा है। सेना की भर्ती में आज देशभक्तों की नहीं, बेरोजगारों की भीड़ उमड़ रही है। किसी को देशद्रोही कहने से पहले हमें यह देखना होगा कि हममें कितना देशप्रेम जिंदा बचा है।

    ReplyDelete
  3. माधुरी की गद्दारी की वजह क्या हमारा सिस्टम नहीं है? यह भ्रष्टता किसी कुंठा से उपजी है मैं नहीं मानता। जब रॉ प्रमुख पर ही उंगलियां उठ रही हो तो ऐसे में अकेली माधुरी को गद्दार कहना गलत होगा। अरविंद सर, हमारा राष्टÑ प्रेम दम तोड़ रहा है। सेना की भर्ती में आज देशभक्तों की नहीं, बेरोजगारों की भीड़ उमड़ रही है। किसी को देशद्रोही कहने से पहले हमें यह देखना होगा कि हममें कितना देशप्रेम जिंंदा बचा है।

    ReplyDelete
  4. " बाज़ार के बिस्तर पर स्खलित ज्ञान कभी क्रांति का जनक नहीं हो सकता "

    हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति.कॉम "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . अपने राजनैतिक , सामाजिक , आर्थिक , सांस्कृतिक और मीडिया से जुडे आलेख , कविता , कहानियां , व्यंग आदि जनोक्ति पर पोस्ट करने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर जाकर रजिस्टर करें . http://www.janokti.com/wp-login.php?action=register,

    साथ हीं जनोक्ति द्वारा संचालित एग्रीगेटर " ब्लॉग समाचार " http://janokti.feedcluster.com/ से भी अपने ब्लॉग को अवश्य जोड़ें .

    ReplyDelete