Sunday, April 25, 2010

आस्था इसी का नाम है

जोधपुर में निकलने वाली भौगिशैल परिक्रमा में लोगों के उत्साह का आलम देखिये, रविवार को जोधपुर का तापमान ४१ डिग्री था, मुझे शहर में कुछ दूर जाने में भी पसीने आ रहे थे और वो भी मोटरसाइकल से। यहाँ देखिये, कैसे बुजुर्ग लोग भी भरी दोपहर में पहाड़ चढ़े जा रहे हैं। यह उर्जा कहाँ से आती है और कौन देता है, यह रहस्य शायद हमेशा बना रहेगा। हमारे देश में परम्पराएँ पलती हैं, धार्मिक मान्यताये चलती हैं और इन्ही के चलते हज़ार-हज़ार किलोमीटर से कोई रामदेवरा पैदल जाता है तो कोई दुसरेप्रदेश से सालासर हनुमान जी के दर्शन करने पैदल जाता है। दिग्गी कल्यानजी, खाटू वाले बाबा श्यामजी, मेहंदीपुर बालाजी और गोगामेडी जैसे हमारे कितने ही आस्था स्थल हैं, जहा सैकड़ो किलोमीटर पैदल चलकर आने वाले लोगो की संख्या लाखो में है। इस दौरान हादसे भी होते हैं, पैरो में छले बन जाते हैं और बाद में कै दिन आराम करना पड़ता है लेकिन उत्साह कभी काम नहीं होता। हमारा देश, शायद इसी आस्था और विश्वास के कारण हजार खामियों के बावजूद आगे बढ़ता जा रहा है।

1 comment:

  1. मन का विश्‍वास ही आस्‍था होती है। लोक बड़ा विचित्र होता है। स्‍वयं के प्रति विश्‍वासहीन होते हुए भी किसी के प्रति विश्‍वस्‍त होता है। आस्‍थावान बनते हुए आगे बढ़ने का प्रयास करता है और अंचभा तो तब होता है जब वह कुछ कर जाता है।


    व्‍यक्ति के प्रति व्‍यक्ति में आस्‍था पैदा होना ही सबसे अच्‍छा शुभ संकेत होता है। देश को आस्‍थावान लोगों का संबल मिले। खुदा खैर करे--------

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