Saturday, April 24, 2010

नफरत, गुस्सा और बेबसी

जयपुर में शुक्रवार को एक छात्रा ने खुद को आग लगाकर जान दे दी। उसने खुद को आग उस व्यक्ति के घर के सामने लगाई, जो उसे ब्लेकमेल कर रहा था। इस पूरे किस्से में नफरत, गुस्से और बेबसी की पराकास्ठा दिखाई देती है। उस छात्रा के पास शायद कोई रास्ता नहीं बचा था। सवाल यह उठता है कि आखिर हमारे राजस्थान में ऐसे वाकये क्यों होते रहते हैं। कभी जयपुर में शिवानी जडेजा के चेहरे पर सरेराह तेजाब दाल दिया जाता है। कभी अजमेर में छात्राओं की सीडी बनाकर ब्लेकमेल किया जाता है तो कभी नागौर में ऐसी ही घटना हो जाती है। क्यों नहीं हमारी सरकार आज तक ऐसे घिनौने अपराध करने वालों को कड़ा सबक नहीं सिखा पाई कि लोग ऐसा कुछ करने से पहले चार बार आगा-पीछा सोचने पर मजबूर हों।
ब्लेकमेल और शोषण की घटना न केवल किसी महिला का जीवन बर्बाद कर देती है, बल्कि हमारे समाज में उस परिवार को भी जीवन भर बिना किसी कसूर के सहानुभूति की बजाय ताने सुनने पड़ते हैं। जयपुर की घटना के बाद लोगो में गुस्सा फूट पड़ा, जो एक-दो दिन या कुछ ज्यादा दिनों में शांत भी हो जाएगा लेकिन पीड़ित परिवार को यह दंश जीवनभर झेलना पड़ेगा। यह मौका है की आगे ऐसी घटना न हो इसके लिए कदम उठा लिए जाये.

1 comment:

  1. विपरीत परिस्थितियां हौंसला देता हैं। पलायन किसी समस्‍या का हल नहीं होता। जीना तो तभी है जब अपराधी को अपराध की सजा मिले। क्‍या मरने से पहले हमें इस पर सोचना नहीं चाहिए ?

    भोगवाद के बढ़ते चलन से भारतीय समाज आक्रांतित है, कहीं न कहीं लगाम तो लगानी ही पड़ेगी। शुरूआत अभी से हो तो बेहतर रहेगा।


    शुरूआत हो न हो, व्‍यथित को निराश नहीं होना चाहिए और पीडा़ के बाद एक संकल्‍प के साथ खड़े होने का प्रयास करना चाहिए।

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