Wednesday, April 21, 2010

एक उम्मीदों भरा फैसला

यह चेहरा तो याद होगा ही आपको? जेस्सिका लाल। गत ११ वर्षो से अखबारों और मैग्जीनो में छप रहा है। कै बार टीवी पर भी दिख जाता है। १९९९ में जब मैं पढता था, उन्ही दिनों में मैंने इसकी एक अमीरजादे के हाथो हत्या करने की खबर पढ़ी थी। इतने लम्बे समय बाद आखिर तय हो पाया है कि इसका हत्यारा मनु शर्मा अब उम्रकैद की सजा भुगतेगा। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा आदेश दिया है। स्वागत है। सरेआम किसी की हत्या के आरोपी को उम्रकैद की सजा कोई दुर्लभ मामला नहीं है सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि इसमें आरोपी एक बहुत बड़े परिवार और बहुत पैसे वाले घराने से सम्बन्ध रखता है। किसी भी बड़े आदमे द्वारा अपराध करने पर हम ये मानकर चलते हैं की उसका कुछ भी नहीं बिगड़ने वाला है। और यह बेवजह नहीं है, क्योंकि ऐसा हमारे देश में होता भी है। पद, पैसे और पहचान के बूते बड़े लोग पाक-साफ़ बच जाते हैं। उनको देखकर ही दूसने तथाकथित बड़े लोगो का साहस बढ़ता है और यह क्रम बन जाता है। ऐसे माहौल में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बड़ा सुकून देने वाला महसूस होता है। यकीन मानिये, इससे कोई बहुत बड़ा बदलाव नहीं आने वाला है लेकिन इससे आशाओं का एक दीप जरूर जलता है। न्याय का यह दीप जलता रहे, आज यही कामना की जा सकती है.

2 comments:

  1. यह दौर आस्थाओं और उम्मीदों के भंग होने का दौर है और खुशकिस्मती से ही कोई उम्मीद जगाने वाली खबर हाथ लगती है।
    एक खूबसूरत पोस्ट के लिए बधाई और शुभकामनाएं...

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  2. अगर आपका नजरिया सकारात्‍मक है तो आपको परिणाम भी सकारात्‍मक मिलेंगे। हां, इतना जरूर है कि व्‍यक्तिपरकता कुछ हावी हुई है और उसने कुछ संघर्ष उत्‍पन्‍न कर दिया है। परंतु, संघर्ष कब नहीं रहा ? 200 वर्ष तक संघर्ष करते रहना आजादी की प्राप्ति का द्योतक बना। वास्‍तविक आजादी की प्राप्ति का संघर्ष क्‍या इससे कम होगा ?

    आपकी पोस्‍ट की सार्थकता इसी में है कि सकारात्‍मक देखने का भाव उत्‍पन्‍न हो रहा है। बधाई।

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