Sunday, April 25, 2010

पूर्ण आराम की सलाह

आखिर ललित मोदी की किस्मत का फैसला उनकी गैर मौजूदगी में कर दिया गया। परिषद् की बैठक से पहले ही आधी रात को उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। २०-२२ घंटे लगातार काम करने वाले मोदी के लिए ये फुर्सत के बढ़िया पल हो सकते हैं। इधर खेल भी सलट चूका है। हालाँकि मैं नहीं मानता, मोदी का खेल इतने सस्ते में ख़त्म होने वाला है। मोदी बहुत बड़े खिलाडी हैं और इतनी आसानी से हार नहीं मानने वाले, भले ही वे हार भी जाएँ। हाँ, उन्हें वक्त मिला है की वे पूर्ण आराम करें, इस दौरान चिंतन करें और सोचें की वे भी मनुष्य ही हैं। कानून से बंधे हैं और खास भारतीय होकर भी अब आम भारतीय हैं। मोदी के प्रति ढेर साड़ी शुभकामनाएं।

2 comments:

  1. मन की भूख जब जाग जाती है तब जीवन में आराम नाम की चिडि़या के लिए कोई जगह नहीं होती। आराम तो संतोष का पर्याय होता है।


    आपने माना है तो हम दुआ करते हैं कि मोदी, देसाई जैसे कुछ लोग आराम करें तो शायद देश का कुछ भला हो------ अस्‍तु !

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  2. कुछ भी हो, आईपीएल को इन ऊंचाइयों तक पहुंचाने का क्रेडिट तो मोेदी को ही रहेगा। आईपीएल से जुड़े हाईप्रोफाइल किस्सों को सोचकर चौंकने वालों की सोच पर तरस आता है। यह पहले दिन से ही ऎसा था और अब भी ऎसा ही है। अगर कोई चौंक रहा है तो निश्चित रूप से उसने सोचने की प्रक्रिया अब ही शुरू की है...
    आईपीएल में कोई परिवर्तन होगा होगा तो शायद आईपीएल भी आईपीएल नहीं रहेगा...
    कुछ चीजों को शायद हमें स्वीकार कर लेना चाहिए और हकीकत यह है कि हमने इन चीजों को स्वीकार कर भी लिया है... टेस्ट किक्रेट का जमाना अब लद गया...
    सारे किस्से पर आम आदमी की प्रतिक्रिया और उसकी हिस्सेदारी क्या है, यह भी सोचने वाली बात है...
    वैसे भी अकेले ललित मोदी को कोसने से फायदा क्या है, इस देश में भ्रष्टाचार की बात करोगे, तो सौ करोड़ फंदों की जरूरत पड़ेगी...

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